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गायत्री मंत्र जप में बरतें सावधानी: सही क्या, गलत क्या?

गायत्री मंत्र के नियम – वेदों के अनुसार गायत्री मंत्र को वेदों में सबसे पवित्र और शक्तिशाली मंत्रों में से एक माना गया है। यह ऋग्वेद (3.62.10) में उल्लिखित है और इसे जपने से आत्मिक शुद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। हालांकि, इसके जप के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है, जिन्हें वेद, स्मृतियों (जैसे मनुस्मृति), और संध्या उपासना विधि में बताया गया है। आइए जानते हैं गायत्री मंत्र जप के महत्वपूर्ण नियम। 1. पात्रता (अधिकार) 🔹 परंपरागत रूप से, केवल वे लोग जिन्हें उपनयन संस्कार प्राप्त हुआ हो, वे ही इस मंत्र का जप कर सकते हैं। 🔹 आधुनिक समय में, कई संतों और गुरुओं ने इसे सभी के लिए स्वीकार्य माना है, बशर्ते वे उचित श्रद्धा और नियमों का पालन करें। 🔹 यदि कोई इस मंत्र का जप करना चाहता है, तो उसे शुद्धता और एकाग्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 2. जप का सही समय गायत्री मंत्र का जप करने के लिए तीन समय सबसे उत्तम माने जाते हैं: 🕕 प्रातःकाल – सूर्योदय से पहले (ब्रह्म मुहूर्त में जप श्रेष्ठ होता है)। 🕛 मध्यान्ह – दोपहर के समय। 🌇 सायंकाल – सूर्यास्त के समय। इन त...

धनु, मकर और कुंभ राशि वालों पर कब शुरू हुई थी शनि साढ़े साती और कब मिलेगी इन्हें मुक्ति, जानिए

 


ज्योतिष में शनि को एक क्रूर ग्रह माना जाता है। इनका नाम सुनते ही लोगों के मन में डर सा पैदा होने लगता है। क्योंकि अधिकतर लोग शनि को बुरा फल देने वाला ग्रह मानते हैं। लेकिन ज्योतिष अनुसार ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। शनि तो लोगों को उनके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। अगर शनि कुंडली में मजबूत स्थिति में विराजमान हैं तो शनि साढ़े साती या फिर शनि ढैय्या के दौरान भी अच्छे ही फल प्राप्त होंगे और अगर शनि कमजोर हैं तो कष्टों का सामना करना पड़ेगा। यहां आप जानेंगे धनु, मकर और कुंभ वालों को कब मिलेगी शनि साढ़े साती से मुक्ति। 


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धनु: इस राशि के जातकों पर शनि साढ़े साती का आखिरी चरण चल रहा है। इसकी शुरुआत 2 नवंबर साल 2014 से हुई थी। अब 29 अप्रैल 2022 को शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही धनु वालों पर से शनि साढ़े साती खत्म हो जाएगी। लेकिन 12 जुलाई 2022 में ही शनि अपनी वक्री चाल में एक बार फिर से मकर राशि में प्रवेश कर जायेंगे जिससे धनु वाले जातर दोबारा से शनि की महादशा की चपेट में आ जायेंगे। 17 जनवरी 2023 में शनि के पुन: मार्गी होने पर ही धनु वालों को पूर्ण रूप से शनि साढ़े साती से मुक्ति मिलेगी।



मकर: शनि मकर राशि के स्वामी ग्रह भी हैं। वर्तमान में शनि साढ़े साती का इस राशि पर दूसरा चरण चल रहा है। आपको बता दें कि आपके ऊपर शनि साढ़े साती की शुरुआत 26 जनवरी 2017 को हुई थी और अब इसकी समाप्ति 29 मार्च 2025 में होगी। यानी आपको अभी शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।



कुंभ: इस राशि पर शनि साढ़े साती की शुरुआत 24 जनवरी 2020 में हुई थी और आपको इससे मुक्ति 3 जून 2027 में मिलेगी। लेकिन 20 अक्टूबर 2027 में ही शनि अपनी वक्री चाल चलते हुए मीन राशि में गोचर करने लगेंगे। जिससे कुंभ वाले एक बार फिर से शनि साढ़े साती की चपेट में आ जायेंगे और फिर 23 फरवरी 2028 में वक्री शनि के पुन: मार्गी होने पर कुंभ वालों पर से शनि का प्रकोप खत्म हो जाएगा। यानी कुल मिलाकर देखा जाए तो कुंभ वालों को 2028 में ही शनि की महादशा से मुक्ति मिलेगी।




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