मंदिर या घर में मनोवांक्षित फ़ल प्राप्ति हेतु दीपक क्यों और कैसे जलाएँ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दीपक को सकारात्मकता का प्रतीक व दरिद्रता को दूर करने वाला माना जाता है। पूजा के दौरान और उसके बाद भी कई घंटों तक दीपक जलते रहना शुभ माना जाता है। कुछ महत्व पूर्ण जानकारी दीपक के बारे में, हमें दीपक क्यो जलाना चाहिए और कैसे जलाना चाहिए? किस देवता के लिए कितनी बाती होनी चाहिये ? आदि!
देव पूजा में दीपक का बड़ा महत्त्व माना गया है। साधारण तौर पर घी या तेल के दीपक जलाने की परंपरा रही है। पूजा के समय दीपक कैसा हो? उसमें कितनी बत्तियां हो? किस दिशा में दीपक की लौ होनी चाहिये?
घर का मंदिर ईशान कोण में तथा दीपक की लौ पूर्व और उत्तर दिशा में होनी चाहिये! दीपक हमें रोशनी प्रदान करता है।
रोशनी से संबंधित शास्त्रों में एक पंक्ति उल्लेखनीय है -
"असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमया।
मृत्योर्मा अमृत गमय॥
ॐ शांति शांति शांति!"
(१) जब भी आप पूजा करते हैं तो घर का मंदिर हमेशा ईशान कोण में होना चाहिए। और दीपक की लो हमेशा पूर्व और उत्तर दिशा की और होना चाहिए । इससे धन प्राप्ति के योग बनते है और मनोकामना पूर्ण होती है ।
(२) जब भी आप दीपक जलाये तो ध्यान रखे कि दीपक हमेशा साफ़ सुधरा होना चाहिए । कही भी टूटा हुआ या खण्डित नहीं होना चाहिए। भगवान की मूर्ति साफ सुथरी हो तथा खण्डित कदापि न हो!
(३) घर में कभी भी खंडित (टूटी फूटी) मूर्तिया नहीं रखना चाहिए।इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा और धन-हानी बढ़ती है । भगवान् की तस्वीर या मूर्तिया साफ़ सुथरी जगह होनी चाहिए ।
(४) तेल का दीपक अपनी पवित्र तरंगों को अपने स्थान से कम से कम एक मीटर तक फैलाने में सफल होता है। उससे उत्पन्न होने वाली तरंगे दीपक के बुझने के आधे घंटे बाद तक वातावरण को पवित्र बनाए रखती हैं।
(५) घी का दीपक जल रहा हो तो इसकी पवित्रता स्वर्ग लोक तक पहुंचने में सक्षम होती है। घी वाला दीपक बुझने के बाद भी करीब चार घंटे से भी ज्यादा समय तक अपनी सात्विक ऊर्जा को बनाए रखता है। तेल का दीपक कष्ट-समस्या निवारक, सुख-समृद्धि के लिए घी का दीपक (सुख -समृद्धि)सकारात्मक उर्जा के लिए!
(६) तेल का दीपक हमेशा कष्ट और समस्या निवारण के लिए इस्तेमाल होता है। घी का दीपक मनोकामना पूर्ति के लिए और सुख समृद्धि प्राप्ति के लिए होता है ।
(७) घी का दीपक हमेशा अपने दाहिनी तरफ और तेल का दीपक हमेशा अपनी बाईं तरफ रखना चाहिए । जब भी आप दीपक जलाएं तो घी में तेल को कभी भी नहीं मिलाना चाहिए ।
(८) गाय के घी में रोगाणुओं को भगाने की क्षमता होती है। यह घी जब दीपक की सहायता से अग्नि के संपर्क में आता है तो वातावरण को पवित्र बना देता है। इसके जरिये प्रदूषण भी दूर होता है। (
९) इसी तरह के गुण तिल के तेल में भी पाये जाते हैं। यह भी आक्सीजन की वृद्धि करता है।
(१०) ऐसा माना जाता है कि दीपक जलाने से पूरे घर को फायदा मिलता है। चाहे उस घर का कोई व्यक्ति पूजा में सम्मिलित हो या ना हो, उसे भी इस ऊर्जा का लाभ प्राप्त होता है! व्यापार और नौकरी को पाने लिए भगवान विष्णु लक्ष्मी के समक्ष शुद्ध घी का दीपक जलाएँ!
(११) बहुत मेहनत करने फिर भी आपका व्यापार नहीं चलता है, नौकरी नहीं लगती है, धन के सम्बन्ध में कोई ना कोई समस्या होती है या कर्ज से संबंधित कोई ना कोई परेशानी आती है तो रोज आपको भगवान् विष्णु और माँ लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए ।
(१२)ग्रह स्वामियों पर पडऩे वाला प्रभाव किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए नियम से अपने घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। देवी-देवताओं के सामने घी का दीपक अपने बाएं हाथ की ओर (रखना) लगाना चाहिए। तेल का दीपक दाएं हाथ की ओर (रखना) लगाना चाहिए।
तीन मुखी या सप्त-मुखी बत्तियों वाला घी का दीपक : मनोकामना पूर्ति हेतु!
(१३)भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलानें से मनोकामनायें पूर्ण होती है। पूजा के बीच में दीपक बुझना नहीं चाहिए। ऐसा होने पर पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है।
अगर दीपक बुझ जाता है तो तुरंत जला देना चाहिए और भगवान से भूल-चूक की क्षमा याचना करनी चाहिए। (१४) यदि आप माँ लक्ष्मी की आराधना करते हैं और चाहते हैं कि उनकी कृपा आप पर बरसे तो उसके लिए आपको सप्त-मुखी तिल के तेल का दीपक जलायें।
घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती उपयोग करना चाहिए। जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती ज्यादा शुभ रहती है।
पदोन्नति और सफ़लता हेतु हल्दी कुमकुम घी का दीपक!
(१५) प्रमोशन नहीं हो पा रहा है या बार-बार असफलता ही हाथ लगती है तो देवी लक्ष्मी के साथ-साथ विष्णु जी की भी पूजा करें।
हाथ में बांधने वाली मौली की बाती बनाकर घी का दीपक जलाएं।
दीपक में हल्दी और कुमकुम भी मिला लें।
पूजा में कभी भी खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए। पूजा-पाठ में खंडित चीजें शुभ नहीं मानी जाती है।
हनुमानजी के लिए तीन-मुखी या अष्ट मुखी चमेली या तिल तेल का दीपक!
(१६) भगवान् श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए तीन मुखी दीपक में चमेली का तेल डाल कर जलाना चाहिए।
कोई अनजाना भय घेरे हुए है या शत्रुओं की संख्या बढ़ती जा रही है तो नियमित रूप से हनुमानाष्टक का पाठ करें और लाल रंग की बाती का दीपक नित्य हनुमान जी के सामने जलाएं।
(१७) हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए तिल के तेल आठ बत्तियों वाला दीपक जलाना अत्यन्त लाभकारी रहता है।
देवी-कृपा हेतु तिल के तेल का दीपक जलाएं असीम शक्ति पाएँ!
(१८) देवी जी को हमेशा तिल के तेल का ही दीपक जलाना चाहिए,
साथ में गाय के घी का भी जलाना चाहिए, दाऐ तरफ घी का और बांऐ तरफ तिल के तेल का दीपक रखना चाहिए! देवी कृपा से अपार आध्यात्मिक और शारिरिक शक्ति प्राप्त होती है। अगर घर में नियमित रूप से दीपक जलाया जाता है तो वहाँ हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। दीपक के धुएं से वातावरण में मौजूद हानि कारक सूक्ष्म कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं।
मुकदमा जीतने के लिए भगवान कार्तिक के समक्ष पंच-मुखी दीपक जलाये!
(१९) मुकद्दमा जीतने और भगवान कार्तिकेय की प्रसन्नता के लिए पंचमुखी दीपक प्रभावी होते हैं। गाय का शुद्ध घी प्रयोग में लें और पीली सरसों का दीपक जलाएं।
शास्त्रों के अनुसार रोज शाम को मुख्य द्वार के पास दीपक जलाना चाहिए। इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
इसी वजह से शाम को मेन गेट के पास दीपक जलाने की परंपरा चली आ रही है।
ओजस्वी बनने के लिए तिल के तेल का दीपक वआदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ!
(२०) यदि आपका सूर्य ग्रह कमजोर है तो उसे बलवान करने के लिए,
आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें और साथ में तिल के तेल का दीपक जलायें। आपके तेज़ में बृद्धि होगी।
दीपक की लौ दिशा-ज्ञान:----
दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर रखने से आयु में वृद्धि होती है।
दीपक की लौ पश्चिम दिशा की ओर रखने से दुख बढ़ता है।
दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर रखने से धन लाभ होता है।
दीपक की लौ कभी भी दक्षिण दिशा की ओर न रखें, ऐसा करने से जन या धन हानि होती है।
भगवान् शिवजी की कृपा हेतु अष्ट या द्वादस मुखी पीली सरसों तेल का दीपक!
(२१) भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए आठ या बारह मुखी दीपक को पीले सरसो के तेल के साथ जलाना चाहिए।
शत्रु दमन हेतु भैरव जी के समक्ष सरसों या तिल तेल का चौमुखी दीपक!
(२२) आर्थिक लाभ पाने के लिए आपको नियमित रूप से शुद्ध देशी गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए। शत्रुओं व विरोधियों के दमन हेतु भैरव जी के समक्ष तिल के तेल का या सरसो के तेल का चौमुखी दीपक जलाने से लाभ होगा। शत्रुओं से बचने के लिए भी यह एक उत्तम उपाय है।
शनि के प्रभाव को कम करने हेतु तिल के तेल का दीपक!
(२३) शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित लोग शनि मन्दिर में शनि स्त्रोत का पाठ करें और तिल के तेल का दीपक जलायें।
दो मुखी (द्वि मुखी) घी का दीपक जलाएं, शिक्षा में सफ़लता पाएँ!
(२४) शिक्षा में सफलता पाने के लिए सरस्वती जी की आराधना करें और दो मुखी घी वाला दीपक जलाने से अनुकूल परिणाम आते हैं।
पति पत्नी की आयु व अरोग्यता के लिए महुये के तेल का दीपक !
(२५) पति पत्नी की आयु व अरोग्यता के लिए महुये के तेल का दीपक जलाने से अल्पायु योग भी नष्ट हो जाता है।
सोलह बत्तियों बाला दीपक भगवान विष्णु की आराधना!
(२६) भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह बत्तियों वाला गाय के घी का दीपक जलाना लाभप्रद होता है।
(२७) भगवान विष्णु की दशावतार आराधना के लिए दस मुखी दीपक प्रयोग करें।
सप्त मुखी लाल बत्ती बाला दीपक जलाएं लक्ष्मी की ख़ुशी पाएँ!
(२८) माँ लक्ष्मी जी की प्रसन्नता के लिए सात मुखी घी का दीपक जलाएँ और अपार धन प्राप्ति के अवसर पाएँ। (२९) आप बहुत मेहनत करते हैं लेकिन आपको उसके हिसाब से फल हासिल नहीं होता तो आपको रोज शाम देवी लक्ष्मी के सामने लाल बाती रख कर घी का दीपक जलाना चाहिए।
मनोकामना,इष्ट सिद्धि और ज्ञान का प्रतीक गोल दीपक!
(३०) इष्ट सिद्धि, ज्ञान प्राप्ति के लिए गहरा और गोल दीपक प्रयोग में लें।
शत्रुनाश, आपत्ति निवारण के लिए मध्य में से ऊपर उठा हुआ दीपक इस्तेमाल करें।
(३१) माना जाता है दीपक प्रज्वलित करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलती है, लेकिन दीपक के साथ भिन्न-भिन्न तरीके के उपयोग आपकी किस मनो- कामना को पूरा कर सकते हैं।
दीपक जलाते समय और मंदिर में आरती लेते समय जप-मंत्र:--
मंत्र-
दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:।
दीपो हर तिमे पापं संध्या दीपं नामो स्तुते।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां।
शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति।।
इस मंत्र का सरल अर्थ यह है कि शुभ और कल्याण करने वाली,
आरोग्य और धन संपदा देने वाली, शत्रु बुद्धि का नाश और शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली दीपक की ज्योति को हम नमस्कार करते हैं।
इस प्रकार दीपक जलाकर मंत्र बोलने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और शत्रुओं से हमारी रक्षा होती है।
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