Masik Shivratri 2021: इस दिन है मासिक शिवरात्रि, भोलेनाथ की इस विधि से करें पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी


मासिक शिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाएगी। इस माह में यह तिथि 10 फरवरी (बुधवार) को पड़ रही है। मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखने और पूजा करने से भोलेनाथ हर मनोकामना पूरी करते हैं।

शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, इंद्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती ने भी शिवरात्रि का व्रत करके भगवान शिव का पूजन किया था। भगवान शिव के पूजन के लिए उचित समय प्रदोष काल में होता है। ऐसा माना जाता है कि शिव की अराधना दिन और रात्रि के मिलने के दौरान करना ही शुभ होता है। कहा जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन शिव पार्वती की पूजा व्यक्ति को हर तरह के कर्जों से मुक्ति दिलाती है।  

शिवरात्रि का महत्व-

1. हर महीने आने वाली मासिक शिवरात्रि का बहुत महत्व होता है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत-उपवास रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
2. मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से विवाह में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं। 
3. शिवपुराण के अनुसार, कहते हैं कि जो भक्त सच्चे मन से व्रत को करते हैं, उनके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।
4. शास्त्रों में भोलेनाथ को जल्दी प्रसन्न होने वाला देव बताया गया है। कहते हैं कि वह भक्तों की पुकार जल्दी सुनते हैं और उनके कष्टों को दूर करते हैं।

मासिक शिवरात्रि पूजन विधि-

1. श्रद्धालुओं को शिवरात्रि की रात को जाग कर शिव जी की पूजा करनी चाहिए। 
2. मासिक शिवरात्रि वाले दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि के बाद किसी मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें।
3. पूजा के दौरान शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें। 
4. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं। अब आप भगवान शिव की धुप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें। 
5. शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें। 
6. इसके बाद शाम के समय फल खा सकते हैं लेकिन व्रती को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना व्रत खोलें। 


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