शुभ मुहूर्त विचार!

 


सफलता प्राप्ति के लिये शुभ मुहूर्त में शुरू करे काम 

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किसी अच्छे समय का चयन करके किया गया कार्य ही मुहूर्त कहलाता है।


ज्योतिष शास्त्र में शुभ मुहूर्त पर खासा महत्व दिया गया है। कार्य के शुभारंभ के लिए कई प्रकार से मुहूर्त देखे जा सकते हैं।


किसी अच्छे समय का चयन करके किया गया कार्य ही मुहूर्त कहलाता है। मुहूर्त पंचांग के पांच अंगों के बिना अधूरा सा है। पंचांग मतलब पंच अंग जैसे तिथि, वार, योग, नक्षत्र, करण इन्हीं से मिलकर ही शुभ योग का निर्माण होता है, जिसे हम मुहूर्त कहते हैं। इनका एक साथ होना योग कहलाता है।


चंद्रमा और मुहूर्त

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शुभ कार्य का प्रारम्भ करने से पहले (चंद्रमा) का विचार करना चाहिए। जातक को अपनी राशि ज्ञात होनी चाहिए। याद रहे गोचर का चंद्र्रमा जातक की जन्मराशि से चौथा, आठवा, बारहवां (4, 8, 12) नहीं होना चाहिए। यदि ऎसा होता है तो अशुभ माना जाता है। इस दौरान शुभ कार्य भी त्यागने योग्य है। 


अमृत योग 

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रविवार-हस्त, सोमवार-मृगशिरा, मंगलवार-अश्विनी, बुधवार-अनुराधा, गुरूवार- पुष्य, शुक्रवार- रेवती, शनिवार- रोहिणी यदि इन वारों के नक्षत्र भी समान हो तो अमृत योग क हलाता है। जैसे रविवार हो हस्त नक्षत्र हुआ तो शुभ कहलाता है। ये योग शुभ होता है। 


पुष्य योग

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रवि पुष्य योगः रविवार को पुष्य नक्षत्र का संयोग रवि पुष्य योग का निर्माण करता है जो कि अच्छा योग माना जाता है । 

गुरू पुष्य योगः गुरूवार को पुष्य नक्षत्र गुरू पुष्य योग का निर्माण करता है जो व्यापारिक दृष्टिकोण से शुभ रहता है। 


चौघडिया मुहूर्त

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ये सभी योग किसी विशेष संयोग के कारण बनते हैं। किसी कार्य का शुभारम्भ करना आवश्यक है मगर शुभ योग नही बन रहा है, उस स्थिति में चौघडिया काम में लेते हैं, जो कि 1:30 घंटे का होता है और इस दौरान राहुकाल का त्याग करना चाहिए। लाभ, अमृत, शुभ, चंचल ये चौघडिया शुभ माने जाते हैं । इसकी शुद्धता के लिए हम सुर्योदय से सुर्यास्त के समय को उस दिन के समय को दिनमान व सुर्यास्त से सुर्योदय तक के समय को रात्रिमान मानकर उस मे आठ का भाग देते है जो भागफल आता है वह एक चौघडीए का मान होगा।


अभिजीत मुहूर्त

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सुर्योदय से सुर्यास्त के समय यानि दिनमान मे दो का भाग देगे।जो मध्यान्त काल प्राप्त होगा उससे 24मीनट पूर्व व 24मीनट बाद तक अभिजित काल होगा।

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