भगवान कृष्ण का अद्भुत मंदिर
पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में गंगा किनारे बनने वाला ये मंदिर विश्व के अजूबो से भी बढ़कर है। यह हरिनाम संकीर्तन के प्रवर्तक श्री चैतन्य महाप्रभु का जन्म स्थान है।
इस्कॉन नाम की इस संस्था की स्थपना को केवल ५५ वर्ष हुए हैं पर ऐसा नहीं है कि यह किसी बाबा या आधुनिक धर्म के नेताओं द्वारा बनाया गया नया पंथ या धर्म है। यह अनंत काल से चले आ रहे भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करने, उनकी शिक्षाओं का पालन करने वाले तथा भगवद-गीता एवं श्रीमद भागवत के आधार पर शुद्ध कृष्ण भक्ति का प्रचार-प्रसार करने वाली संस्था है। इसकी जड़ें स्वयं भगवान कृष्ण से आरम्भ होकर अटूट गुरु-शिष्य परंपरा से आती हुयी श्री चैतन्य महाप्रभु एवं अंततः ए.सी.भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद द्वारा स्थापित इस्कॉन संस्था तक हैं। इस्कॉन मात्र एक रजिस्टर्ड नाम है जो अमेरिका में प्रचार हेतु बनाये गए नियमों का पालन करने के लिए रखा गया था। वास्तव में यह ब्रह्म-मध्व गौड़ीय सम्प्रदाय का अंग है।
कुछ नासमझी और झूठे प्रचार के कारण सामान्य जनमानस में यह भ्रम फैला दिया गया है कि इस्कॉन एक विदेशी संस्था है, भारत का पैसा बाहर भेजती है, भारत में ईसाई धर्म का प्रचार कर रही है। ये सब आधे ज्ञान एवं जानकारी से उपजी निरि मूर्खता है और कुछ नहीं है। कुछ भावुक लोगों को ब्रह्मकुमारी, संत रामपाल, साई बाबा के प्रचार में कोई खोट नहीं दीखता पर गीता और भागवत के शुद्ध प्रचार करती हुयी इस संस्था पर शंका करते हैं। उक्त संस्थाएं समाजसेवा, मीठे बोल, इत्यादि की आड़ में सीधा सीधा सनातन धर्म में, पूज्य भगवान की परिभाषाओं का खंडन कर रहे हैं, धर्म को अंदर से खोखला कर रहे हैं, हमारे पूज्य आराध्य-देवों को नकार कर अपने मनगढंत ज्ञान द्वारा भोली-भाली जनता का विश्वास उनपर से उठाने का काम कर रहे हैं। पर वे सब स्वीकार्य है, लेकिन गीता और भागवत का प्रचार करती संस्था के प्रति शंका जताते हैं।
यह अद्भुत मंदिर एक तरफ तो अपनी भव्यता के लिए पहचाना जायेगा दूसरी तरफ इसमें बनने वाले अनेकों शिक्षण उपक्रम लोगों को शुद्ध भक्ति और अन्य शास्त्रों का प्रशिक्षण भी देंगे। यह हमारे सनातन धर्म में हुए पूर्वाचार्यों की टीकाओं पर भी आधारित होगा जहाँ मनोकल्पना से उपजे हुए झूठ और कपट धर्म का कोई स्थान नहीं होगा।
यह मंदिर २०२३ में बनकर तैयार हो जायेगा।
Comments
Post a Comment