जानिए षट्तिला एकादशी व्रत की तिथि-शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि


हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व माना जाता है। हर माह दो एकादशी तिथियां पड़ती है। जिसके अनुसार पूरे वर्ष में 24 एकादशी के व्रत पड़ते हैं। एकादशी के व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। षटतिला एकादशी का भी खास महत्व माना गया है। इस बार षट्तिला एकादशी का व्रत 7 फरवरी 2021 दिन रविवार कि किया जाएगा। एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की पूजन किया जाता है। एकादशी व्रत को नियम के साथ करने पर मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

षटतिला एकादशी का महत्व

षटतिला एकादशी के नाम के समान ही इस दिन तिल के प्रयोग का खास महत्व माना गया है। षटतिला एकादशी के दिन तिल का 6 तरह, स्नान, उबटन, आहुति, तर्पण, दान और सेवन से पापों का नाश होता है। इस प्रकार से तिलों का प्रयोग परम फलदायी माना गया है। षटतिला एकादशी का व्रत करने से वाचिक, मानसिक और शारीरिक पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।

षटतिला एकादशी पूजा विधि
सभी एकादशी की तरह षटतिला एकादशी व्रत के नियम भी दशमी तिथि से ही आरंभ हो जाते हैं, इसलिए दशमी तिथि को दूसरे प्रहर के भोजन के पश्चात कुछ न खाएं, ताकि आपके पेट में अन्न का अंश न रहे।
 
• एकादशी तिथि को प्रातः जल्दी स्नानादि करके भगवान विष्णु का ध्यान और पूजन करें।
• इस दिन किसी भी प्रकार से अन्न का सेवन वर्जित माना जाता है।
 
एकादशी के अगले दिन यानि द्वादशी तिथि पर सुबह जल्दी स्नान करें और भोजन बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाएं। उसके बाद किसी जरूरत मंद या फिर ब्राह्मण को भोजन करवाएं, भोजन करवाने के पश्चात दान-दक्षिणा देकर विदा करें। तत्पश्चात स्वयं भोजन ग्रहण करें।


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